क्या आप किसी मां कि कोख को देख कर उसके गर्भ में पल रहे शिशु की मूर्ति बना सकते हैं? शायद नहीं लेकिन अगर भारत के गौरवमय इतिहास की बात करे तो यह संभव था। इसका उदाहरण है वडक्कुनाथ स्वामी मंदिर जो कुंडादम, कोयंबटूर, तमिलनाडु में है। यह मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है जब शरीर के अंदरूनी हिस्सों को देखने की कोई भी तकनीक उपलब्ध नहीं थी फिर भी यहां मंदिर की दीवारों पर जो मानव जन्म की प्रक्रिया से संबंधित मूर्तियां बनी है वो सोचने वाली बात है।उस समय ऐसी क्या तकनीक थी जिससे मनुष्य ने मां के गर्भ में पल रहे शिशु के अलग अलग महीनों में बदलने वाली स्थिति को देखकर उसे मंदिर की दीवारों पर उकेरा होगा। ये चित्र मिथक नहीं सच्चाई है जिसे देख कर आप गौरवान्वित महसूस करेंगे। ये मूर्तियां मानव जन्म प्रक्रिया की शुरुआत से जन्म लेने तक की पूरी स्थिति का अवलोकन कराती हैं। इन बातो को देखते हुए यह महसूस होता है कि भारत की सनातन संस्कृति में वो शक्तिशाली और गौरपूर्ण इतिहास था जिसे धीरे धीरे भूला दिया गया।
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